Singer deepak kumar
Friday, 8 December 2017
एक निशानी मेरी जुवानी
वो मोहब्बत भी तेरी थी,
वो नफरत भी तेरी थी।
वो अपनापन और ठुकराने,
की अदा भी तेरी थी।
हम अपनी वफा का
इन्साफ किससे मांगते।
वो शहर भी तेरा था,
और अदालत भी तेरी ।।
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