जैसा की दोस्तों इसे पहले मैं
आपको बताया की जैन धर्म के लिए यह मंदिर काफी महत्व रखता है।
आज आप सभी को एक और चीज बताने जा रहा हूँ मंदिर जो बना हुआ है जिसे जल मंदिर कहते हैं
आप सभी ने कभी सोचा कि तालाब कैसे बना होगा। जैन धर्म को मानने वालो के लिए यह स्थान ओर भी पवित्र है।
भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें एव अंतिम तीर्थकर हुए
भगवान महावीर अपना अंतिम उपदेश पावापुरी में ही दिए थे। कार्तिक कृष्ण अमावशय को इसी जगह मोक्ष की प्राप्ति हुई थी
जब भगवान महावीर के शरीर का अंतिम संस्कार किया गया तब पवित्र भस्म को उनके भगतो ने उठा लिया और भस्म समाप्त हो गई
भगतो की तादाद असंख्य थी तब भगत भस्म के स्पर्श से पवित्र हुई मिटी को ले जाने लगे जल्द ही वह स्थान बहुत बडे गढे में बदल गया और जल निकल आया उसी याद में कमल सरोवर का निर्माण किया गया। सरोवर पक्षी और कमल से भरा हुआ है सरोवर और मंदिर का निर्माण संगमरमर से हुआ है। मंदिर में महावीर के पद चिन्ह के छाप कुछ चिन्ह है मंदिर सरोवर के बीच होने के कारण यह जलमंदिर के नाम से जाना जाता है गर्व गिर्ह में प्रवेश के लिए तीन दरवाजा है मंदिर में भगवान महावीर के चरणों कि पुजा की जाती है यह माना जाता है की यहाँ मांगी गई सारी मुरादे पुरी होती है। यह मंदिर जैन धर्म के माने वालो का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है।
आपको बताया की जैन धर्म के लिए यह मंदिर काफी महत्व रखता है।
आज आप सभी को एक और चीज बताने जा रहा हूँ मंदिर जो बना हुआ है जिसे जल मंदिर कहते हैं
आप सभी ने कभी सोचा कि तालाब कैसे बना होगा। जैन धर्म को मानने वालो के लिए यह स्थान ओर भी पवित्र है।
भगवान महावीर जैन धर्म के 24वें एव अंतिम तीर्थकर हुए
भगवान महावीर अपना अंतिम उपदेश पावापुरी में ही दिए थे। कार्तिक कृष्ण अमावशय को इसी जगह मोक्ष की प्राप्ति हुई थी
जब भगवान महावीर के शरीर का अंतिम संस्कार किया गया तब पवित्र भस्म को उनके भगतो ने उठा लिया और भस्म समाप्त हो गई
भगतो की तादाद असंख्य थी तब भगत भस्म के स्पर्श से पवित्र हुई मिटी को ले जाने लगे जल्द ही वह स्थान बहुत बडे गढे में बदल गया और जल निकल आया उसी याद में कमल सरोवर का निर्माण किया गया। सरोवर पक्षी और कमल से भरा हुआ है सरोवर और मंदिर का निर्माण संगमरमर से हुआ है। मंदिर में महावीर के पद चिन्ह के छाप कुछ चिन्ह है मंदिर सरोवर के बीच होने के कारण यह जलमंदिर के नाम से जाना जाता है गर्व गिर्ह में प्रवेश के लिए तीन दरवाजा है मंदिर में भगवान महावीर के चरणों कि पुजा की जाती है यह माना जाता है की यहाँ मांगी गई सारी मुरादे पुरी होती है। यह मंदिर जैन धर्म के माने वालो का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है।
No comments:
Post a Comment